तिब्बती व्यापारी

भारतीय हिमालयी सरहदों के ऊँचाई वाले इलाकों में रहने वाले समुदायों का तिब्बती समाज से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1957 में अमेरिकी फिल्मकार जे माईकल हैगोपियन ने जाड व्यापारियों के जीवन पर ‘तिब्बतन ट्रेडर्स’नाम से महत्वपूर्ण वृतचित्र बनाया था जिसका ज्ञानिमा ने हिंदी रूपांतरण किया है।

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शौका और राजस्थानी भाषा का अंतर्संबंध

उत्तराखंड की उत्तरी सीमा से लगी घाटियों के लोगों की संस्कृति के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। भारत तिब्बत व्यापार खत्म होने के पश्चात इन घाटियाँ की संस्कृति ही नहीं बोली/भाषा भी लुप्त होने की कगार पर हैं। सभी घाटियों के निवासी अपनी संस्कृति को बचाने के विभिन्न प्रयास कर रहे हैं। जोहार घाटी की शौका बोली को संरक्षित करने के सिलसिले में श्री गजेन्द्र सिंह पाँगती से एक बातचीत।

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