हम गैरसैंणी हैं!

वर्तमान में अल्मोड़ा जिले का निवासी होने के कारण इस बात का दुख होना चाहिए की ऐतिहासिक कुमाऊँ की राजधानी ही कुमाऊँ का हिस्सा नहीं बची पर वह दुख भी नहीं होता। सोचता हूँ की क्या बदल जाएगा गैरसैंण का हिस्सा हो जाने से?

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