उत्तराखंड की वनाग्नि और अदालती आदेश
हर तरफ धुआँ ही धुआँ है। जंलते जंगलों का धुआँ। ऐसे में अदालती आदेश उन बादलों से लगते हैं जो अपनी बारिश से वनाग्नि बुझाने की क्षमता तो रखते ही हैं, धुएँ की पर्त को हटा कर हमें दूरदृष्टि भी प्रदान कर सकते हैं। ये अलग बात है की अवमानना की हवा अक्सर इन बादलों को नाकाम कर देती है।
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