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व्यावसायिक कुमाऊँनी गीत और स्त्री
शादी समारोह में बजने वाले कुमाउनी गीतों को सुनकर दिव्या पाठक को महसूस होता था कि पितृसत्ता की जड़ें कितनी मजबूती से अपनी पकड़ बनाये हुए हैं। उनका मानना है कि ऐसे गीतों की बढ़ती लोकप्रियता हमारे समाज की मानसिकता और स्त्रियों के प्रति उनके रवैये को भी साफ तौर पर पेश करती है। एक बातचीत।
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