एक शहर का बनना और बिखरना
नैनीताल शहर से मेरा वर्षों का नहीं बल्कि सदियों का नाता रहा है। मेरे पुरखे और मैं इस शहर को बनते और बिखरते देखते आये हैं। कभी कभी तो लगता है की मेरा नैनीताल इतना बिखर गया है कि यह अपना सा नहीं लगता।
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