ब्राह्मणवाद के नाम एक पत्र
कुछ समय पहले की बात है कि मेरी जान पहचान के एक ‘ब्राह्मण’ ने अचानक बड़ी अजीब सी बात कर दी। वो बोले, चाहे कुछ भी हो जाए मैं किसी दलित या आदिवासी को अपने रसोई में घुसने नहीं दे सकता। उनकी यह बात सुन कर एक झटका सा लगा। समझ नहीं आया की लोग इतना कुछ जानते हुए भी इतने अनजान क्यों हैं?
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