दिल्ली और पर्यटन से आगे

सूचना क्रांति और युवाशक्ति के इस दौर में आजीविका के काम करने में कोई खास परेशानी नहीं होनी चाहिए, बशर्ते कि विकास की योजनाएँ मैदान की जगह पहाड़ केंद्रित हों। इस तरह की योजनाएँ सिर्फ एक एनआरएलएम और कुछ बाहरी फंडिंग की जिम्मेदारी मान के पल्ला झाड़ लेने से क्रियान्वित नहीं हो पायेंगी। रोजगार सृजन को एकल लेंस से देखने के बजाय समेकित नजर देने की जरूरत है।

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