कोविड सपोर्ट ग्रुप – सहयोग का अनूठा प्रयोग

यूँ तो सहयोग में अद्भुत ताकत है, पर भारत के अन्य राज्यों के विपरीत उत्तराखंड में गैर सरकारी संगठनों के बीच सहयोग के मामले थोड़ा कम ही सुनने में आते हैं। ऐसे में कोविड सपोर्ट ग्रुप का प्रयोग एक नई संभावना की ओर इशारा करता है।

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कोविड, हम और हमारे गाँव

कोविड ने सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत और नीति-नियन्ता के रूप में हमारी क्षमता को बुरी तरह से बेपर्दा कर सामने ला दिया है। यदि अब भी हमनें समय रहते कारगर कदम नहीं उठाए तो गाँवों में उभरते हालात किस तरह की चुनौतियाँ पैदा करेंगे इसका शायद हम अनुमान भी नहीं लगा सकते।

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कोरोना काल में उत्तराखंड के पहाड़ों की स्वास्थ्य व्यवस्था

कोरोना के संदर्भ में देखें तो उत्तराखंड के पहाड़ों की स्तिथि डरावनी लगती है। कहीं कोई तैयारी नहीं दिखती। आंकड़ों की माने तो पहाड़ के समस्त जिलों का मिला जुला औसत राज्य के मूल औसत से कम है, जो अपने आप में कम है। ऊपर से पहाड़ी इलाकों में सुविधाएँ अमूमन जिला मुख्यालयों तक ही सीमित है। लोगों को इस बात का रंज हो या न हो, पर पहाड़ों को जरूर इस बात का दुख रहेगा की उसके दोहन शोषण के लिए हम चार लेन सड़क तो ले आए पर हम यहाँ के लोगों को मूलभूत सुविधाएँ न दे सके।

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‘भुला दी गई महामारियों’ से हमने कुछ नहीं सीखा

आज एक बार फिर कोरोना के रूप आई महामारी की भयावहता ने सिद्ध कर दिया है कि हम अंधविश्वास और पोंगापंथी के चलते इस विभीषिका के सामने लाचार होते चले जा रहे हैं। अपने अतीत से हमने कुछ सबक नहीं सीखा। शायद यह हमारी सामूहिक चेतना और वैज्ञानिक समझ का प्रतिफल ही रहा कि महामारियाँ भुला दी गईं और हम इनकी गंभीरता को नहीं समझ सके।

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मास्क हमारा, सबका सहारा

उत्तराखंड के ग्रामीण अञ्चल के लोगों को कोरोना से सावधानी इसलिए भी बरतनी होगी क्योंकि यहाँ चिकित्सा सेवाओं का अभाव है जिसके कारण खतरा बड़ सकता है। अतः इन फिल्मों को देखें ओर दिखाएँ, उत्तराखंड को कोरोना संक्रमण के खतरे से बचाएँ!

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