महामारी और इतिहास से सबक
महामारियों का मिजाज और फैलाव का तरीका हमेशा से अकल्पनीय रहा है। सामाजिक और जीव-उद्विकास की अब तक की कहानी भी यही बताती है कि एक बार अस्तित्व में आ जाने के बाद विषाणु का समाप्त होना असंभव है। यानि दुनियाँ में उसका अस्तित्व हमेशा बना रहेगा। अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा होने पर वह बार-बार फैल कर समाज को आतंकित करता रहेगा। हमारे ऐतिहासिक अनुभव भी हमें यही बतलाते रहे हैं।
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