स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 और उत्तराखंड

अखबारों की हेडलाईन चाहे कुछ भी हो, सच्चाई तो यह है राज्यों की स्वच्छता रैंकिंग सूची में उत्तराखंड की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। बस एक ही रैंकिंग है जिस पर थोड़ा संतोष किया जा सकता है और वह है गंगा तट पर बसे, एक लाख से अधिक आबादी वाले शहर।

गंगा तट पर बसे एक लाख से अधिक आबादी वाले 46 शहरों की सूची में उत्तराखंड का अच्छा स्थान है। हरिद्वार पहले तो ऋषिकेश तीसरे नंबर पर है। यह एक खुशी का विषय है तो दुख का भी क्योंकि राज्य सूची में हरिद्वार 8वें स्थान पर है और राष्ट्रीय सूची में 330वें स्थान पर।

गंगा तट पर बसे एक लाख से कम आबादी वाले 45 शहरों में उतराखंड के विभिन्न शहरों का स्थान निम्नवत रहा है-

  1. कर्णप्रयाग – 5वाँ स्थान
  2. चमोली गोपेश्वर – 6ठा स्थान
  3. जोशीमठ – 8वाँ स्थान
  4. मुनि की रेती – 10वाँ स्थान
  5. बाराहत उत्तरकाशी – 11वाँ स्थान
  6. नंदप्रयाग – 13वाँ स्थान
  7. कीर्तिनगर – 18वाँ स्थान
  8. गौचर – 19वाँ स्थान 
  9. देवप्रयाग – 20वाँ स्थान
  10. रुद्र प्रयाग – 22वाँ स्थान

भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एण्ड अर्बन अफेयर्स) द्वारा करवाए गए इस सालाना सर्वेक्षण की शुरुआत 2016 में हुई जब 73 शहरों का सर्वेक्षण किया गया। 2020 में 4242 शहरों का सर्वेक्षण हुआ और 2022 के सर्वेक्षण में 4355 शहरों ने भाग लिया। नए और महत्वपूर्ण पहलुओं के आधार पर सर्वेक्षण करने के लिए हर वर्ष नए मानकों को निर्धारित किया जाता है। इस सर्वेक्षण का लक्ष्य केवल प्रगति का आँकलन ही नहीं अपितु नगरों व शहरों के स्वच्छता के लिए प्रेरित करना भी है।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में केंद्र शासित प्रदेशों व राज्यों को इन चार मानकों के आधार पर अंक दिए गए –

  1. सर्विस लेवल (सेवा अनुबंध) में प्रगति
  2. नागरिक प्रतिक्रिया
  3. प्रमाणीकरण (सर्टिफिकेशन)
  4. ठोस कचरा प्रबन्धन (सालिड वेस्ट मैनेजमेंट)

इन चार मानकों के आधार पर राज्यों की दो सूचियाँ बनाईं गई –

  1. पहली सूची एक लाख से कम आबादी वाले शहरों की थी जिसमें 32 प्रतिभागी केंद्र शासित प्रदेश व राज्य हैं
  2. दूसरी सूची एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की जिसमें 31 प्रतिभागी केंद्र शासित प्रदेश व राज्य हैं
मानकएक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के आधार पर रैंकिंग
(32 में से)
एक लाख से कम आबादी वाले शहरों एक आधार पर रैंकिंग
(31 में से)
सर्विस लेवल (सेवा अनुबंध) में प्रगति19 19
नागरिक प्रतिक्रिया14 11
प्रमाणीकरण (सर्टिफिकेशन)10 14
ठोस कचरा प्रबन्धन (सालिड वेस्ट मैनेजमेंट)19 20

इस रैंकिंग को समझने का प्रयास करें तो यही दिखता है कि व्यवस्था बनाने के मामले में तो हम ठीक ठाक कदम उठा लेते हैं पर उसके क्रियान्वयन के मामले में पीछे रह जाते हैं। यह बात केवल स्वच्छता पर ही लागू नहीं होती। अन्य क्षेत्रों में भी उत्तराखण्ड की स्थिति कुछ ऐसी ही है।

सर्वेक्षण की सूचियाँ जनसंख्या के आधार पर बनाईं गईं हैं। 1 से 10 लाख की आबादी वाले 380 शहरों की राष्ट्रीय सूची में उत्तराखंड के शहर निम्न स्थानों पर रहे हैं-  

  1. देहरादून – 69वाँ स्थान
  2. रुड़की – 134वाँ स्थान
  3. ऋषिकेश – 220वाँ स्थान
  4. कोटद्वार – 270वाँ स्थान
  5. रुद्रपुर – 277वाँ स्थान
  6. हल्द्वानी – 280वाँ स्थान
  7. काशीपुर – 304वाँ स्थान
  8. हरिद्वार 330वाँ स्थान

यद्यपि उतराखंड में स्थित छावनियाँ छोटी हैं फिर भी स्वच्छता के मामले में यहाँ के कैनटोंनमेंट बोर्ड (छावनी परिषद)अच्छी स्थिति में नहीं है। कुल 62 छावनियों की सूची में उत्तराखंड के छावनी परिषदों की स्थित इस प्रकार है –

  1. लेंड्सडाउन – 18वाँ स्थान
  2. रानीखेत – 20वाँ स्थान
  3. अल्मोड़ा – 34वाँ स्थान
  4. नैनीताल – 43वाँ स्थान
  5. क्लेमेंटटाउन – 46वाँ स्थान
  6. रुड़की – 47वाँ स्थान
  7. देहरादून – 48वाँ स्थान
  8. लैनडोर – 53वाँ स्थान
  9. चकराता – 57वाँ स्थान

राष्ट्रीय स्तर की सूची के अलावा क्षेत्रीय सूचियां भी बनाई गई है। उत्तर क्षेत्र की सूची में 50000 से 1 लाख तक की आबादी वाले शहरों में रामनगर और 15000 से कम जनसंख्या वाले शहर में डोईवाला का नाम ऐसे शहरों के रूप में दर्ज है जो स्वच्छता के मामले में सबसे तेजी से प्रगति कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य सूची में रामनगर प्रथम स्थान पर है और डोईवाला दूसरे स्थान पर। 25000 से 50000 तथा 15000 से 25000 वाली सूची में उत्तराखंड कोई महत्वपूर्ण स्थान दर्ज नहीं कर पाया है।

उत्तराखण्ड एक छोटा सा राज्य है जहाँ प्रदूषण करने वाली इकाईयां भी काफी कम है और जनसंख्या भी। उपभोग के शहरी तौर तरीकों का भी अभी पुरजोर आगमन नहीं हुआ है। बावजूद इसके स्वच्छता के मामले में स्थिति बुरी होने का मुख्य कारण शायद जागरूकता की कमी है। छोटे शहरों के लिए नीतिगत रूप से ठोस कार्यप्रणाली तैयार करना तथा उनका क्रियान्वयन करना उतना कठिन कार्य नहीं है। इसके लिए राज्य स्तर ही नहीं अपितु मण्डल व जिला स्तर पर भी लक्ष्य तय करने होंगे क्योंकि भौगोलिक विविधता के चलते सम्पूर्ण राज्य को एक केन्द्रीय कार्यप्रणाली के बल पर चलाना संभव नहीं है। अगर हम समय पर नहीं चेते तो छोटे शहरों के लगातार हो रहे अनियंत्रित फैलाव के दुष्परिणामों को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

स्वच्छता की मूल जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है पर उत्तराखण्ड में केंद्र सरकार को भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि उत्तराखंड में स्वच्छता व्यवस्था का असर केवल उत्तराखंड ही नहीं अपितु सम्पूर्ण उत्तर भारत को छूता हुआ बंगाल की खड़ी तक पहुँचता है। आशा है कि केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार तथा नगर पालिकाएँ इन आंकड़ों को देख कर जागेंगी और कोशिश करेंगी कि अगले वर्ष के स्वच्छता सर्वेक्षण में उत्तराखंड की स्थिति बेहतर हो।

***

आबादी के आधार पर राज्य सूची में उत्तराखंड के कुछ प्रमुख शहरों का स्थान निम्नवत रहा है-

  1. 1 से 10 लाख आबादी
    रुड़की – 2 (राष्ट्रीय सूची में स्थान – 134)
    ऋषिकेश – 3 (राष्ट्रीय सूची में स्थान – 220)
    रुद्रपुर – 5 (राष्ट्रीय सूची में स्थान – 277)
    हल्द्वानी – 6 (राष्ट्रीय सूची में स्थान – 282)
    हरिद्वार – 8  (राष्ट्रीय सूची में स्थान – 330)
  2. 50,000 से 1 लाख आबादी
    पिथौरागढ़ – 2 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 69)
    किच्छा  – 3 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 82)
    खटीमा – 5 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 84)
  3. 25,000 से 50,000 आबादी
    मंसूरी – 2 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 86)
    नैनीताल – 4 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 113)
    पौड़ी – 5 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 134)
    बागेश्वर – 6 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 180)
    अल्मोड़ा – 9 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 196)
  4. 15,000 से 25,000 आबादी
    चमोली गोपेश्वर – 2 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 127)
    श्रीनगर – 5 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 237)
    टिहरी– 8 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 253)
  5. 15,000 से कम आबादी
    धारचुला – 10 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 220)
    रुद्रप्रयाग – 27 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 365)
    पुरोला – 32 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 376)
    चंपावत – 45 (उत्तर क्षेत्र में स्थान – 406)

अपने शहर के बारे में अधिक जानकारी चाहते की लिए तो मंत्रालय की वेबसाइट  https://ss2022.sbmurban.org/#/scorecard में जाएँ।

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